Tuesday 18 March 2014

POEM ON HOLI

आयी होली उड़ा गुलाल,
रंगे देखो सबके गाल,
अजब सी देखो आयी बौछार,
खुशियों से होली लायी बहार,
लाल, नीला, हरा, गुलाबी,
प्यार और खुशियां,
इन दो रंगों कि भी लो हाथ में चाबी,
उड़ा लो रंग आसमान में सारे,
कि आसमान भी बरसाए रंगों के फुहारे,
खाओ गुजिया खाओ मिठाई,
बन-ठन  रंगों से होली आयी,
होली में यूँ रंग बरसाओ,
सूखे रंगों से ही  होली मनाओ,
सूखे रंगों कि बी है बात निराली,
बरकरार रहेगी होली कि लाली,
कह  दो ये होली हम यूँ ही मनाएंगे,
नीर बचाकर सूखे रंग ही  बरसाएंगे,
खैर मुबारक हो सबको होली का त्यौहार,
फैलाते रहो सदा खुशियों के रंगों कि फुहार ................ 
खुशियों के रंगों कि फुहार …………………

-सिमरन कौर 

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