Wednesday 26 March 2014

AZAAD MUJHE BEHNE DO

एक बूँद सी हूँ झरने में मैं ,
कि  आज  मुझे बहने दो,
ठोकर खायी हर किनारे पे  मैंने,
अब आज़ाद मुझे बहने दो,
न मंज़िल पता,
न रास्ता पता,
तोड़ती चलूँ  ये सन्नाटा वादियों का,
बनके गूँज टकराओ की ,
ज़रा ज़ोर से बहने दो,
मुझसे हे बने ये झरने, नदी और सागर,
कभी तूफ़ान न बनू मैं,
धीमी रफ़्तार से बहने दो,
चाहे दिन ढले या हो रात अँधेरी,
चुप चाप दबे पाओ,
बिन आवाज़ मुझे बहने दो,
मुझे बहना है दर्रे-दर्रे (घाटी)  में,
सिमट कर एक धारा  में,
किनारों  को छू जाऊं,
इस कदर मुझे बहने दो,
बना सकू हमराही एक पत्थर को अपना ,
थम कर दो पल पास उसके,
कि दर्द ठोकरों का आज उससे कहने दो,
अनगिनत बूंदों से जो बनता है झरना,
उस झरने में ही बहती एक बूँद हु मैं,
मिल जायेगी मुझे मेरी मंज़िल कहीं किसी  न किसी नदी या सागर में,
तलाशने को बस वो मंज़िल मुझे,
आज़ाद रास्तों में तब तक मुझे बहने दो,
बस तब तलक मुझे बहने दो ...........

-सिमरन कौर   

Tuesday 18 March 2014

POEM ON HOLI

आयी होली उड़ा गुलाल,
रंगे देखो सबके गाल,
अजब सी देखो आयी बौछार,
खुशियों से होली लायी बहार,
लाल, नीला, हरा, गुलाबी,
प्यार और खुशियां,
इन दो रंगों कि भी लो हाथ में चाबी,
उड़ा लो रंग आसमान में सारे,
कि आसमान भी बरसाए रंगों के फुहारे,
खाओ गुजिया खाओ मिठाई,
बन-ठन  रंगों से होली आयी,
होली में यूँ रंग बरसाओ,
सूखे रंगों से ही  होली मनाओ,
सूखे रंगों कि बी है बात निराली,
बरकरार रहेगी होली कि लाली,
कह  दो ये होली हम यूँ ही मनाएंगे,
नीर बचाकर सूखे रंग ही  बरसाएंगे,
खैर मुबारक हो सबको होली का त्यौहार,
फैलाते रहो सदा खुशियों के रंगों कि फुहार ................ 
खुशियों के रंगों कि फुहार …………………

-सिमरन कौर 

Tuesday 11 March 2014

SAD LOVE SHAYRI

अब तो दीवारे भी थक चुकी हमारा दर्द सुनते सुनते,
कहती  हैं बस करो, अब हमसे और रोया नहीं जाता .......


लोग हमें बेवजह कहते हैं हमे सजने का शौक है,
उस ही ने कहा था, जब याद आये हमारी आईना देख लेना …………



लोग कहते हैं प्यार किस्मत वालों को मिलता है,
आज पता चला, लोगों ने हमसे कितना झूठ बोला है................


दूर रहना इस मोहोब्बत कि दुनिया से ऐ दोस्त,
ये लोग आते हैं खामोशी से, खामोश करने क लिए...................... 

SAD SHAYRI

तुझसे मोहब्बत करते करते ,
हम तुझमे इस कदर खो गए,
कि आज अपने हे वजूद क टुकरे समेटते ज़िन्दगी गुज़र रही है………



लोग अक्सर हमसे तुम्हारे बारे में पूछा करते हैं,
हम भी हंसकर कहते हैं,
तेरी ज़ात, तेरे किरदार और तुझसे कोई वास्ता नहीं…………  

AB KI SAAWAN RULA GAYA

है सावन भी रो रहा साथ मेरे,
है इन बूंदों में दिए कईं दर्द तेरे,
देखो तो ये सर्द हवा भी कैसे रुला रही है,
आज ये बिजली कि कड़कड़ाहट भी तुझे बुला रही है,
वो बूंदें जिन्हें अक्सर देख हम मुस्कुराया करते थे,
वो बूंदें जिनमें  भीग कर प्यार अपना बतलाया करते थे,
है मंज़र आज पर अजब सा छाया है,
इन बूंदों ने भी शोक मेरी तन्हाई का मनाया है,
ऐ सावन न भीगा यूँ मुझे कि मेरे अश्क इन बूंदों में छुप  जायेंगे,
थम जा दो पल कि वो मेरी भीगी पलकें देख पाएंगे,
गर रो रहा होगा वो भी यूँ बरसात तले कहीं मेरी याद में,
तो छुपा रहा होगा आंसू अपने इन बूंदों कि आड़ में ,
सुकून इस सावन में न उसको भी आया होगा,
है सावन भी रो रहा साथ उसके ,
शायद ख्याल दिल में उसके भी ये कहीं आया होगा,
शायद ख्याल मेरा दिल में उसके भी आया होगा ………… 

- सिमरन कौर 

SAD LOVE POETRY

आज अपने परिवार के लिए,
मैंने अपना प्यार खो दिया,
आज फिर मेरा दिल,
इस बात पर रो दिया,
एक लड़की जिस दिन का इंतज़ार बरसों से करती है ,
जिसके नाम कि मेहँदी उसके हाथ पे रचती है,
अफ़सोस कि जिसका नाम,
 मेरे हाथ पे लिखा है,
ये वो शख्स नहीं,
जिससे मैंने प्यार का मतलब सीखा है,
ये सजावट, ये शोर,
ये दुल्हन का लिबास जो पहना है,
आज किसी और का होकर,
मुझे हर दर्द सहना है,
ये रस्म-ओ-रिवाज कि डोर,
आज  बाँध ली अपनी कलाई से,
लिख लिया उसका नाम अपनी ज़िन्दगी पे,
आंसुओं कि स्याही से,
देख तेरे खातिर कर लिया आज मैंने समझौता है,
करती रही इंतज़ार तेरा ,
पर तू अब तक न लौटा है,
वक़्त गुज़र जाएगा,
और ले जायेगी ये डोली मुझे,
ऐ जान आ जा कि आखरी दफा जी भर के देख लू तुझे,
के देख लू तुझे .............


- सिमरन कौर