Wednesday 30 April 2014

Broken Heart Poem

चिराग एक नाकाम मोहोब्बत का  जलाये बैठी हुँ ,
मोहोब्बत में उसकी अपना सब कुछ  गवाए बैठी हुँ ,
जिसकी मोहोब्बत में  जलना शौक है मेरा ,
ऐसे शख्स की मोहोब्बत सीने से लगाये बैठी हुँ ,
कहने को तो वो पराया है मुझसे ,
फिर भी एक उसीकी तस्वीर दिल में बसाये बैठी हुँ ,
गर मोहोब्बत से देख ले एक बार आँखों में मेरी,
तो पता चले उसे की कितने एहसास अंदर दबाये बैठी हुँ ,
,गर छू ले भीगी पलकें वो मेरी,
जान जाएगा वो की कितने ख्वाब इनमें सजाये बैठी हुँ ,
अंदाजा नहीं उसे की इस दिल में मोहोब्बत है कितनी,
आखिर मैं भी तो ये बात उससे छिपाए बैठी हुँ ,
हर रात जिसकी मोहोब्बत में उठाती हुँ कलम ,
उसकी स्याही में भी अपने आंसुओं को मिलाये बैठी हुँ ,
लिख सकूँ आज फिर दास्तान-ऐ-मोहोब्बत,
बस इसीलिए रात भर खुद को जगाये बैठी हुँ ,
चलो छोरो कभी ना कभी तो लौट ही आएगा वो,
बस यूँही हर दिन खुदको मनाये बैठी हुँ ,
चिराग उसकी मोहोब्बत में जलाये बैठी हुँ,
एक नाकाम मोहोब्बत में सब कुछ गवाए बैठी हुँ ,
गवाए बैठी हुँ .............

-सिमरन कौर 

Sunday 27 April 2014

Love Poem

आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
पलकों पे एक ख्वाब सा  सजा लो मुझको , 
फिर जुदा  न हो पाउँ तुमसे ,
अपने हाथों कि लकीरों में बसा लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,

यूँ तो ज़िन्दगी में चाहने वाले बोहत मिलेंगे,
एक चाहत का  सिलसिला ही बना लो मुझको ,
की एक दूसरे में अपना वज़ूद देख लेंगे ,
 इस कदर टूट कर  चाह लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,

जानती नहीं ये मोहोब्बत क्या  रँग लाएगी ,
कम से कम तब तक ही अपना साथ बना लो मुझको ,
ज़िन्दगी कि राहों में एक साथ चलना चाहूंगी,
इस सफर में अपने साथ बिठा लो मझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,

कभी  बीच राह में छूट ना जाये हाथ तुमसे,
एक ऐसे धागे से बाँध लो मुझको ,
वक़्त कि आंधी भी दूर ना कर पाये तुमसे ,
मुझे चाह कर इतना बतला दो उसको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,

पता नहीं यूँ मुलाकात कब हो हमारी ,
मेरे पास रहते ही अपनी हर सांस में बसा लो मुझको,
खुदा भी नाज़ करे देख के चाहत हमारी ,
बस मोहोब्बत से ऐसी मोहोब्बत बना लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
पलकों पे एक ख्वाब सा  सजा लो मुझको .......... 

- सिमरन कौर