Tuesday 11 March 2014

AB KI SAAWAN RULA GAYA

है सावन भी रो रहा साथ मेरे,
है इन बूंदों में दिए कईं दर्द तेरे,
देखो तो ये सर्द हवा भी कैसे रुला रही है,
आज ये बिजली कि कड़कड़ाहट भी तुझे बुला रही है,
वो बूंदें जिन्हें अक्सर देख हम मुस्कुराया करते थे,
वो बूंदें जिनमें  भीग कर प्यार अपना बतलाया करते थे,
है मंज़र आज पर अजब सा छाया है,
इन बूंदों ने भी शोक मेरी तन्हाई का मनाया है,
ऐ सावन न भीगा यूँ मुझे कि मेरे अश्क इन बूंदों में छुप  जायेंगे,
थम जा दो पल कि वो मेरी भीगी पलकें देख पाएंगे,
गर रो रहा होगा वो भी यूँ बरसात तले कहीं मेरी याद में,
तो छुपा रहा होगा आंसू अपने इन बूंदों कि आड़ में ,
सुकून इस सावन में न उसको भी आया होगा,
है सावन भी रो रहा साथ उसके ,
शायद ख्याल दिल में उसके भी ये कहीं आया होगा,
शायद ख्याल मेरा दिल में उसके भी आया होगा ………… 

- सिमरन कौर 

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