Thursday 14 August 2014

POEM ON INDEPENDENCE DAY...

सारे जहान से अच्छा ,
जब हिन्दुस्तान हमारा होगा,
न शहीद उस सरहद पर,
कोई सैनिक दुबारा होगा,
आओ हम कुछ ऐसा ही ,
हिन्दुस्तान बनाते हैं,
आज़ादी की हम एक,
अमर-ज्योति जलाते  हैं,
जात-पात की इस देहलीज़ को हम,
अब जड़ से मिटाते हैं,
अरे! लड़ाई झगड़ों से क्या पाओगे,
ज़िन्दगी आज मिली है,
कल ख़त्म हो जायेगी,
क्यों न ये सोच हम,
प्यार का दामन फैलाते हैं,
गर एक हो जाए,
हिन्दू , मुस्लिम, सिख, ईसाई ,
आओ हम एकता का तिरंगा लहराते हैं,
ना होना पड़े शहीद,
फिर किसी सैनिक को दुबारा,
ये जंग का सिलसिला ,
अब जड़ से मिटाते हैं,
आओ मिलकर ऐसा हिन्दुस्तान बनाते हैं,
की अमन और शान्ति की मिसाल ,
अपने हिन्दुस्तान को बनाते हैं,
स्वतंत्रता  दिवस के इस अवसर पर,
हर बुराई का खात्मा कर,
नया हिन्दुस्तान सजाते हैं,
ऐसा तिरंगा लहराते हैं.............
ऐसा तिरंगा लहराते हैं.............
सारे जहान से अच्छा ,
तब  हिन्दुस्तान हमारा होगा,
जब अमन और शान्ति की मिसाल ,
केवल हिन्दुस्तान हमारा होगा ………
वो हिन्दुस्तान हमारा होगा.......
जब  शहीद उस सरहद पर,
न कोई सैनिक दुबारा होगा……
न कोई सैनिक दुबारा होगा……

-सिमरन कौर 

Friday 8 August 2014

POEM ON RAKSHABANDHAN

आज बंधवाने को राखी कलाई पे,
वो भाई सरहद से भी जाएंगे,
लौट के घर को अपने,
इंतज़ार में अपनी बहना को पाएंगे,
वो हाथ में लिए थाली जब,
दौड़ के आएगी,
माथे पे टीका ,
आरती उतार  उस भाई को,
मीठा खिलायेगी,
वो धागा रक्षा का,
जब उसकी कलाई पर पेहनाएगी ,
तोहफे में अपने भाई से,
ढेर सारा प्यार पाएगी,
 सोचो कभी उस बहन की ख़ुशी,
जब उन २४ घंटों में वो हर पल,
अपने भाई संग बितायेगी,
सोचो कितने खुशनसीब हैं हम,
जो ये राखी हमारी सुनी ना रह पाएगी,
मनाने को आज बंधन रक्षा का,
हर भाई की कलाई भर जाएगी,
ये त्यौहार ही  ऐसा है,
जो भाई बहन को एक रिश्ते में जोड़ता है,
बदले में बहन का दिल बस यही बोलता है,
की बंधन रक्षा का तुम सदा निभाना,
ये लाज राखी की तुम सदा बचाना …………
ये लाज राखी की तुम सदा बचाना …………


- सिमरन कौर