Thursday 15 May 2014

BROKEN HEART POETRY

ज़रा स्याही देना एक नाम लिखना है,
उस नाम से जुड़ी दास्तान को लिखना है,
एक रोज़ किसी को चाहा था हमने,
उस चाहत में लुटाए अपने दिल का दाम लिखना है,
बड़ी मोहोब्बत से पिलाया था मीठा ज़ेहर जिसने,
उसकी बाहों में बितायी उस आखरी शाम को लिखना है,
खुश है वो कैसे मेरे बिना,
इस जुदाई में उसकी ख़ुशी का बयान लिखना है,
ज़िन्दगी बीत रही है ग़म के साये में,
कैसे देते हैं हर शाम इम्तेहान लिखना है,
कैसे खेलते हैं खेल बेवफाई का,
उस बेवफा का भी हासिल किया वो मुकाम लिखना है,
की चोट न खाये कोई बेवफाई की यूँ मेरी तरह,
औरों के नाम बस यही पैगाम लिखना है,
ज़रा स्याही देना एक नाम लिखना है,
उस नाम से जुड़ी दास्तान को लिखना है...........
दास्तान को लिखना है…….......

-सिमरन कौर 

No comments:

Post a Comment