आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
पलकों पे एक ख्वाब सा सजा लो मुझको ,
फिर जुदा न हो पाउँ तुमसे ,
अपने हाथों कि लकीरों में बसा लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
यूँ तो ज़िन्दगी में चाहने वाले बोहत मिलेंगे,
एक चाहत का सिलसिला ही बना लो मुझको ,
की एक दूसरे में अपना वज़ूद देख लेंगे ,
इस कदर टूट कर चाह लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
जानती नहीं ये मोहोब्बत क्या रँग लाएगी ,
कम से कम तब तक ही अपना साथ बना लो मुझको ,
ज़िन्दगी कि राहों में एक साथ चलना चाहूंगी,
इस सफर में अपने साथ बिठा लो मझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
कभी बीच राह में छूट ना जाये हाथ तुमसे,
एक ऐसे धागे से बाँध लो मुझको ,
वक़्त कि आंधी भी दूर ना कर पाये तुमसे ,
मुझे चाह कर इतना बतला दो उसको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
पता नहीं यूँ मुलाकात कब हो हमारी ,
मेरे पास रहते ही अपनी हर सांस में बसा लो मुझको,
खुदा भी नाज़ करे देख के चाहत हमारी ,
बस मोहोब्बत से ऐसी मोहोब्बत बना लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
पलकों पे एक ख्वाब सा सजा लो मुझको ..........
- सिमरन कौर
- सिमरन कौर
फिर जुदा न हो पाउँ तुमसे ,
ReplyDeleteअपने हाथों कि लकीरों में बसा लो मुझको
well written, keep it up
Thanku soo much.....
Deletevery very beautiful poem!! can't express in words that how beautiful is this...very touched!!
ReplyDeletethanku soo much for such a beatiful compliment........
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