Sunday 27 April 2014

Love Poem

आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
पलकों पे एक ख्वाब सा  सजा लो मुझको , 
फिर जुदा  न हो पाउँ तुमसे ,
अपने हाथों कि लकीरों में बसा लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,

यूँ तो ज़िन्दगी में चाहने वाले बोहत मिलेंगे,
एक चाहत का  सिलसिला ही बना लो मुझको ,
की एक दूसरे में अपना वज़ूद देख लेंगे ,
 इस कदर टूट कर  चाह लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,

जानती नहीं ये मोहोब्बत क्या  रँग लाएगी ,
कम से कम तब तक ही अपना साथ बना लो मुझको ,
ज़िन्दगी कि राहों में एक साथ चलना चाहूंगी,
इस सफर में अपने साथ बिठा लो मझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,

कभी  बीच राह में छूट ना जाये हाथ तुमसे,
एक ऐसे धागे से बाँध लो मुझको ,
वक़्त कि आंधी भी दूर ना कर पाये तुमसे ,
मुझे चाह कर इतना बतला दो उसको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,

पता नहीं यूँ मुलाकात कब हो हमारी ,
मेरे पास रहते ही अपनी हर सांस में बसा लो मुझको,
खुदा भी नाज़ करे देख के चाहत हमारी ,
बस मोहोब्बत से ऐसी मोहोब्बत बना लो मुझको ,
आज प्यार से गले लगा लो मुझको,
पलकों पे एक ख्वाब सा  सजा लो मुझको .......... 

- सिमरन कौर 

4 comments:

  1. फिर जुदा न हो पाउँ तुमसे ,
    अपने हाथों कि लकीरों में बसा लो मुझको
    well written, keep it up

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  2. very very beautiful poem!! can't express in words that how beautiful is this...very touched!!

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    1. thanku soo much for such a beatiful compliment........

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