आओ मिलकर दीपक जलायें ,
की देखो आज दिवाली आई है,
कितने दीपकों की लौ से,
हर नगर जगमग रौशनी छायी है,
कहीं दीपकों की जलती लौ क आगे,
कहीं हार अंधकार ने मनाई है,
कहीं पटाखों की धूम है मची,
तो कहीं एक माँ अपने बच्चों क लिए ,
मिठाई लायी है,
जलाते रहना यूँही एक दीपक उजियारे का,
अंधियारे को मिटाने,
शुभ-दीपावली आई है,
देखो जग को रोशन करने,
ये साल फिर दीवाली आई है.......
शुभ-दीपावली आई है……………
-सिमरन कौर
की देखो आज दिवाली आई है,
कितने दीपकों की लौ से,
हर नगर जगमग रौशनी छायी है,
कहीं दीपकों की जलती लौ क आगे,
कहीं हार अंधकार ने मनाई है,
कहीं पटाखों की धूम है मची,
तो कहीं एक माँ अपने बच्चों क लिए ,
मिठाई लायी है,
जलाते रहना यूँही एक दीपक उजियारे का,
अंधियारे को मिटाने,
शुभ-दीपावली आई है,
देखो जग को रोशन करने,
ये साल फिर दीवाली आई है.......
शुभ-दीपावली आई है……………
-सिमरन कौर