चिराग एक नाकाम मोहोब्बत का जलाये बैठी हुँ ,
मोहोब्बत में उसकी अपना सब कुछ गवाए बैठी हुँ ,
जिसकी मोहोब्बत में जलना शौक है मेरा ,
ऐसे शख्स की मोहोब्बत सीने से लगाये बैठी हुँ ,
कहने को तो वो पराया है मुझसे ,
फिर भी एक उसीकी तस्वीर दिल में बसाये बैठी हुँ ,
गर मोहोब्बत से देख ले एक बार आँखों में मेरी,
तो पता चले उसे की कितने एहसास अंदर दबाये बैठी हुँ ,
,गर छू ले भीगी पलकें वो मेरी,
जान जाएगा वो की कितने ख्वाब इनमें सजाये बैठी हुँ ,
अंदाजा नहीं उसे की इस दिल में मोहोब्बत है कितनी,
आखिर मैं भी तो ये बात उससे छिपाए बैठी हुँ ,
हर रात जिसकी मोहोब्बत में उठाती हुँ कलम ,
उसकी स्याही में भी अपने आंसुओं को मिलाये बैठी हुँ ,
लिख सकूँ आज फिर दास्तान-ऐ-मोहोब्बत,
बस इसीलिए रात भर खुद को जगाये बैठी हुँ ,
चलो छोरो कभी ना कभी तो लौट ही आएगा वो,
बस यूँही हर दिन खुदको मनाये बैठी हुँ ,
चिराग उसकी मोहोब्बत में जलाये बैठी हुँ,
एक नाकाम मोहोब्बत में सब कुछ गवाए बैठी हुँ ,
गवाए बैठी हुँ .............
-सिमरन कौर
very beautiful!!
ReplyDelete